ऋषिकेश के प्राचीन शिव मंदिर (Shiva Temples in Rishikesh)

हिंदू धर्म में सावन का बहुत महत्व है। यह महीना भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है, और श्रद्धालु दूर-दूर से आकर जल चढ़ाते हैं और भक्ति में लीन होते हैं।

ऋषिकेश में कुछ प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं जहां आप सावन के 5 सोमवार के व्रत में जा सकते हैं:

1) नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Temple)

नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 26 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर ऋषिकेश का सबसे बड़ा और प्राचीन मंदिर माना जाता है।

यहां का एक विशेष ऐतिहासिक महत्व है: समुद्र मंथन के समय, जब भगवान शिव ने विष पिया था, तब उनका कंठ नीला हो गया था, और तब से उन्हें नीलकंठ कहा जाता है।

मंदिर तक पहुँचने के लिए आप अपने साधन, पैदल मार्ग या स्थानीय ट्रैकर का उपयोग कर सकते हैं।

मंदिर सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है और आरती सुबह 5 बजे होती है।

ॐ नम: शिवायः

2) वीरभद्र मंदिर (Veerbhadra Temple)

वीरभद्र मंदिर ऋषिकेश से 6 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर भी प्राचीन और प्रसिद्ध है।

सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है, और शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेला लगता है।

मंदिर सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है और आरती सुबह 5 बजे और शाम 7 बजे होती है।

मंदिर तक पहुँचने के लिए आप अपने साधन, विक्रम या रिक्शा का उपयोग कर सकते हैं।

3) भूतनाथ मंदिर (Bhootnath Temple)

भूतनाथ मंदिर ऋषिकेश से 15 किलोमीटर दूर रामझूला में स्थित है। यह मंदिर गंगा के किनारे होने के कारण अपनी सुंदरता और मनोरम दृश्य के लिए प्रसिद्ध है।

कथानुसार, भगवान शिव जब माता सती से विवाह करने जा रहे थे, तो उनकी बारात यहीं रुकी थी।

मंदिर सुबह 5 बजे से रात 9:45 बजे तक खुला रहता है, और मंदिर में प्रवेश के लिए उचित कपड़ों का पहनावा ज़रूरी है।

4) सोमेश्वर मंदिर (Someshwar Temple)

सोमेश्वर मंदिर ऋषिकेश से 2 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर भी प्राचीन है।

शिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह 3-4 बजे ही लग जाती है। मंदिर के प्रांगण में एक विशाल बरगद का पेड़ है, जिसके नीचे बैठने पर आपको ओम ध्वनि सुनाई देगी।

मंदिर तक पहुँचने के लिए आप अपने साधन या स्थानीय ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर सकते हैं।

मंदिर सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।

5) चंद्रेश्वर मंदिर (Chandreshwar Temple)

चंद्रेश्वर मंदिर ऋषिकेश से 8 किलोमीटर दूर स्थित है, और यह भी गंगा के किनारे है।

यहां का श्रृंगार और शिवलिंगों पर जलाभिषेक देखने लायक होता है। मैंने यहां 108 दीपक जलाए थे, जो एक मनोहारी दृश्य था।

मंदिर सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है, और यहां पहुँचने के लिए आप अपने साधन या स्थानीय ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर सकते हैं।

तो यह हैं ऋषिकेश के पांच प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर जहाँ आप श्रद्धा और प्रेम का अनुभव ले सकते हैं। इस सावन आप कैसे भोलेनाथ को प्रसन्न करने वाले हैं?

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